मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

WEATHER NEWS:क्या छोटा सा ला नीना बड़े वर्षा प्रभाव का कारण बन सकता है? जानिए इसके प्रभाव

क्या छोटा सा ला नीना बड़े वर्षा प्रभाव का कारण बन सकता है? जानिए इसके प्रभाव 

ला नीना, एक सामान्य मौसमीय घटना, भारतीय मानसून और वैश्विक जलवायु पर गहरा प्रभाव डालती है। भले ही इसे अक्सर हल्के बदलाव के रूप में देखा जाता है, लेकिन क्या एक छोटा सा ला नीना बड़ी वर्षा का कारण बन सकता है? यह सवाल मौसम विज्ञानियों और शोधकर्ताओं के लिए चर्चा का विषय है। इस लेख में, हम इस विषय पर गहराई से चर्चा करेंगे और समझेंगे कि कैसे एक अपेक्षाकृत कमजोर ला नीना भी भारी वर्षा और बाढ़ का कारण बन सकता है।

ला नीना क्या है?

ला नीना प्रशांत महासागर में सतह के पानी के तापमान में गिरावट से संबंधित है। यह एल नीनो-सदर्न ओस्सीलेशन (ENSO) का ठंडा चरण है, जो महासागर और वातावरण के बीच संबंध को दर्शाता है। जब प्रशांत महासागर के पूर्वी हिस्से का पानी सामान्य से ठंडा हो जाता है, तो इसे ला नीना कहा जाता है। इस घटना का असर केवल समुद्र तक सीमित नहीं रहता; यह वैश्विक मौसम प्रणालियों को बदल देता है। भारत में, यह मानसून को मजबूत करता है और अधिक वर्षा का कारण बनता है।

छोटा सा ला नीना और बड़ा प्रभाव

वैज्ञानिक मानते हैं कि किसी ला नीना की ताकत उसके प्रभाव का एकमात्र निर्धारक नहीं होती। कई बार हल्के या कमजोर ला नीना भी बड़े पैमाने पर जलवायु बदलाव का कारण बन सकते हैं। इसका कारण यह है कि इसके प्रभाव कई अन्य कारकों जैसे:

  1. स्थानीय वातावरणीय परिस्थितियां

    • मानसूनी हवाओं की ताकत
    • जेट स्ट्रीम का पैटर्न
  2. अन्य जलवायु प्रणाली के साथ परस्पर क्रिया

    • हिंद महासागर डिपोल (IOD)
    • आर्कटिक वायुमंडलीय पैटर्न

इन परस्पर प्रभावों के कारण, कमजोर ला नीना भी भारी वर्षा, बाढ़, और अन्य चरम मौसमी घटनाओं को जन्म दे सकता है।

भारत पर प्रभाव

भारत में मानसून की बारिश का सीधा संबंध ला नीना से है। कमजोर ला नीना भी निम्नलिखित प्रभाव डाल सकता है:

  1. भारी मानसूनी वर्षा:
    2021 में, कमजोर ला नीना के बावजूद भारत में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए।

  2. बाढ़ और सूखे का असामान्य वितरण:
    कुछ क्षेत्र भारी बारिश का अनुभव करते हैं, जबकि अन्य क्षेत्र सूखे का सामना कर सकते हैं। यह वर्षा के असमान वितरण का परिणाम है।

  3. फसल उत्पादन पर असर:
    अधिक बारिश खेतों में पानी भरने का कारण बनती है, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

ला नीना के प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं रहते। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इसके अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलते हैं:

  • ऑस्ट्रेलिया: अधिक वर्षा और बाढ़ का खतरा।
  • अमेरिका: सूखा और गर्मी की लहरें।
  • अफ्रीका: कुछ क्षेत्रों में सूखा, तो कुछ में भारी वर्षा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिकों का मानना है कि ला नीना की ताकत और उसके प्रभाव के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। छोटे ला नीना की बड़ी वर्षा पैदा करने की क्षमता कई परस्पर जलवायु कारकों पर निर्भर करती है।

संभावित कारण:
  1. हवा और महासागर का अंत:क्रिया:
    महासागरीय तापमान और वायुमंडलीय दबाव के बदलाव संयुक्त रूप से अधिक वर्षा का कारण बन सकते हैं।

  2. मानव जनित जलवायु परिवर्तन:
    ग्लोबल वॉर्मिंग ने जलवायु प्रणाली को अस्थिर बना दिया है, जिससे कमजोर घटनाओं का प्रभाव भी बड़ा हो सकता है।

भले ही ला नीना कमजोर हो, इसका प्रभाव गंभीर हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप भारी वर्षा, बाढ़, और अन्य चरम मौसमी घटनाएं हो सकती हैं। भारत जैसे देश में, जहां मानसून का कृषि और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव है, इस पर नजर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इसलिए, चाहे ला नीना छोटा हो या बड़ा, इसकी शक्ति को कम आंकना एक गलती होगी। हमें इसके प्रभावों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और प्रभावी तैयारी करनी चाहिए।

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