Bihar Land Survey 2024: सीएम नीतीश कुमार का सख्त अल्टीमेटम, जमीन विवाद के निपटारे में सीओ और थानेदार की भूमिका अहम
बिहार में जमीन विवाद एक लंबे समय से जटिल समस्या रही है। राज्य के हर कोने में भूमि विवाद से जुड़े मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे जनता को असुविधा हो रही है। इस चुनौती को हल करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में, उन्होंने भूमि सर्वेक्षण कार्य की समीक्षा करते हुए सीओ (सर्किल ऑफिसर) और थानेदारों को अल्टीमेटम दिया है कि वे जमीन विवाद से जुड़े मामलों को समय पर निपटाएं और इस कार्य में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बिहार में भूमि विवाद की समस्या बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में जमीन का महत्व बहुत अधिक है। यहां परिवारों और गांवों के बीच जमीन को लेकर अक्सर झगड़े होते हैं। 2012-13 में शुरू हुआ भूमि सर्वेक्षण कार्यक्रम इस समस्या का समाधान करने के लिए लाया गया था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
जमीन विवाद के मुख्य कारण
पुराने जमाने के रिकॉर्ड अभी भी मैन्युअल हैं, जिनमें त्रुटियां आम हैं। बाहुबली और प्रभावशाली लोग कमजोर तबकों की जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। जमीन से जुड़े मुकदमों में न्यायालय में फैसले आने में कई साल लग जाते हैं। हाल ही में, मुख्यमंत्री ने एक उच्च-स्तरीय बैठक में भूमि सर्वेक्षण प्रगति की समीक्षा की। इस बैठक में उन्होंने स्पष्ट किया कि भूमि विवाद से जुड़े मामलों को सुलझाने में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्या कहा नीतीश कुमार ने?
- सभी सर्किल ऑफिसर (सीओ) और थानेदारों को जमीन विवादों के त्वरित समाधान का निर्देश दिया गया।
- उन्होंने कहा कि "अगर किसी शिकायतकर्ता को थाने या सीओ ऑफिस से मदद नहीं मिलती है, तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।"
- भूमि सर्वेक्षण को समय पर पूरा करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की बात भी कही।
भूमि सर्वेक्षण कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति
बिहार सरकार ने डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करके भूमि रिकॉर्ड्स को अपडेट करने का फैसला किया है।
- डिजिटल सर्वेक्षण: ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया जा रहा है।
- ऑनलाइन रिकॉर्ड: जनता अब भूमि रिकॉर्ड्स को ऑनलाइन देख सकती है।
- पायलट प्रोजेक्ट्स: कुछ जिलों में यह काम तेजी से चल रहा है, लेकिन कई जगह इसे लेकर दिक्कतें भी हैं।
प्रमुख चुनौतियां
- जनशक्ति की कमी: सर्वेक्षण कार्य के लिए पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं हैं।
- तकनीकी समस्याएं: डिजिटल उपकरणों के संचालन में कई बार तकनीकी गड़बड़ियां होती हैं।
- जनता की जागरूकता: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सिस्टम को लेकर जागरूकता की कमी है।
जमीन विवादों के समाधान के लिए सरकार के प्रयास
नीतीश कुमार ने न केवल अधिकारियों को चेतावनी दी है, बल्कि जनता की सहूलियत के लिए कई नई योजनाएं भी पेश की हैं:
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विशेष भूमि विवाद निवारण केंद्र:
हर जिले में एक विशेष केंद्र बनाया जाएगा, जहां जनता अपनी शिकायत दर्ज करवा सके।
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सार्वजनिक सुनवाई:
हर महीने जिलाधिकारी स्तर पर जनता की समस्याएं सुनी जाएंगी।
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नए भर्ती अभियान:
भूमि विभाग में रिक्त पदों को जल्द भरा जाएगा।
जनता को क्या मिलेगा लाभ?
सीएम के इस सख्त रुख से जमीन विवाद से जुड़े मामलों में तेजी आएगी।- गरीब और कमजोर वर्ग के लोग न्याय प्राप्त कर सकेंगे।
- सरकारी योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन होगा।
- भूमि विवादों के कारण फंसे विकास कार्य पूरे हो सकेंगे।
विशेषज्ञों की राय
भूमि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की यह पहल सराहनीय है, लेकिन इसे लागू करने में पारदर्शिता और जवाबदेही बहुत जरूरी है। अगर अधिकारी सही तरीके से काम करें, तो बिहार में जमीन विवाद का समाधान संभव है। नीतीश कुमार का भूमि विवाद के प्रति सख्त रुख बिहार के विकास के लिए एक सकारात्मक कदम है। सीओ और थानेदारों को दिए गए अल्टीमेटम से अधिकारियों में जवाबदेही बढ़ेगी और जनता को जल्द न्याय मिलेगा। हालांकि, इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए सभी स्तरों पर ईमानदारी और पारदर्शिता जरूरी है। बिहार के भूमि सर्वेक्षण और विवाद निपटान कार्यक्रम से एक नई शुरुआत की उम्मीद की जा सकती है।
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