बुधवार, 6 नवंबर 2024

बिहार उपचुनाव 2024: बेलागंज में त्रिकोणीय मुकाबला, जनसुराज ने बढ़ाई राजद और जदयू का टेंशन, मुस्लिम-यादव समर्थन किसके साथ जाएगा?

बिहार उपचुनाव 2024: बेलागंज में त्रिकोणीय मुकाबला, जनसुराज ने बढ़ाई राजद और जदयू का टेंशन, मुस्लिम-यादव समर्थन किसके साथ जाएगा?


बिहार में उपचुनाव का दौर चल रहा है, और इस बार बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला बहुत ही रोचक बन गया है। यहां राजद और जदयू जैसे स्थापित दलों के बीच एक तीसरी पार्टी - जनसुराज - ने अपनी मज़बूत दावेदारी प्रस्तुत कर दी है। यह चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जो कि मुख्यतः मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पर आधारित क्षेत्र के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। सवाल यह है कि इस बार मुस्लिम और यादव मतदाता किसके साथ खड़े होंगे? बेलागंज सीट का चुनाव कई कारणों से महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र का समाजिक ढांचा मुस्लिम-यादव समुदायों के समर्थन पर बहुत निर्भर है, जो राजद के पारंपरिक वोट बैंक माने जाते हैं। हालांकि, इस बार जनसुराज की ओर से हुई एंट्री ने दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए चुनौती पेश की है। 


त्रिकोणीय मुकाबले में राजद, जदयू और जनसुराज

बेलागंज में इस बार के चुनावी मुकाबले में राजद, जदयू और जनसुराज तीनों दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। राजद ने दशकों तक मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक पर भरोसा किया है। यह पार्टी अपने सामाजिक न्याय और कमजोर वर्गों के हक में काम करने की छवि के कारण इस वोट बैंक में अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही है। जदयू का मजबूत संगठनात्मक ढांचा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विकास के प्रति दृष्टिकोण भी यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जदयू के साथ गठबंधन में रहते हुए भाजपा ने मुस्लिम-यादव मतदाताओं में अपनी पैठ बनानी चाही थी, लेकिन जदयू ने हमेशा इस समुदाय को आकर्षित करने के लिए राजद के MY समीकरण को टक्कर देने का प्रयास किया है। जनसुराज, जो कि इस उपचुनाव में नई पार्टी के रूप में उभर रही है, ने बेलागंज के मतदाताओं में अपनी पैठ बनाना शुरू कर दी है। यह दल क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर काफी सक्रिय है और स्थानीय जनता के असंतोष का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है। 

मुस्लिम-यादव समर्थन,किसके साथ जाएगा?

इस चुनाव का सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुस्लिम और यादव मतदाता किस पार्टी के पक्ष में जाएंगे। बेलागंज में MY वोट बैंक का विशेष महत्व है, और इस बार जनसुराज की सक्रियता ने इस समीकरण को उलझा दिया है।राजद का हमेशा से मुस्लिम-यादव समीकरण में मजबूत पकड़ रही है, लेकिन अब उनके पास अपने इस परंपरागत वोट बैंक को संभालने की चुनौती है। जनसुराज की नई ऊर्जा और क्षेत्र में उनकी पैठ ने राजद के लिए कुछ परेशानी खड़ी की है। ऐसे में राजद का मुख्य फोकस मुस्लिम-यादव मतदाताओं को जोड़कर रखना है, जो उनके जीत के लिए बहुत जरूरी है। नीतीश कुमार के विकास आधारित एजेंडा और जदयू के प्रभावी संगठन के चलते कुछ मुस्लिम-यादव मतदाताओं का झुकाव जदयू की ओर हो सकता है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जदयू इस परंपरागत वोट बैंक को राजद से खींच पाने में सफल हो पाता है या नहीं। जनसुराज ने स्थानीय मुद्दों, जैसे रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जोरदार प्रचार किया है। इस पार्टी का दावा है कि वे बिना जातिवाद और धर्मवाद के राजनीति करना चाहते हैं। इसका असर बेलागंज के मुस्लिम-यादव वोटर्स पर भी पड़ सकता है, जो क्षेत्रीय विकास के अभाव के चलते असंतुष्ट हो सकते हैं।

त्रिकोणीय मुकाबले का प्रभाव

त्रिकोणीय मुकाबले के चलते बेलागंज में इस बार का उपचुनाव बेहद दिलचस्प बन गया है। अगर MY वोट बैंक विभाजित होता है, तो इसका सीधा फायदा जनसुराज को मिल सकता है। इससे राजद और जदयू के समीकरण कमजोर हो सकते हैं, जिससे चुनावी परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं। बेलागंज में इस बार का चुनाव मुस्लिम-यादव समर्थन पर बहुत निर्भर करेगा। राजद के पास यह चुनौती है कि वह अपने परंपरागत वोट बैंक को संभाले रखे, वहीं जदयू और जनसुराज जैसे दलों की सक्रियता ने इस समीकरण को और जटिल बना दिया है।

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