भारत के प्रमुख पर्वों में से एक छठ पूजा सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित एक अत्यंत पवित्र त्योहार है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस व्रत को बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। यदि आप जानना चाहते हैं कि chhath puja date 2025 कब है, तो यह लेख आपके लिए बेहद खास होने वाला है। यहां हम आपको छठ पूजा की सही तारीख, पूजा का महत्व, व्रत विधि और इससे जुड़ी परंपराओं की पूरी जानकारी देंगे।
Chhath Puja Date 2025: छठ पूजा 2025 कब है?
Chhath Puja Date 2025 को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता रहती है, क्योंकि यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, छठ पूजा 2025 की तारीख 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को पड़ेगी। इस दिन भक्त सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करते हैं।
छठ पर्व चार दिनों तक चलता है—नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य। हर दिन का धार्मिक महत्व होता है। Chhath Puja Date 2025 के हिसाब से यह पर्व 24 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक मनाया जाएगा।
छठ पूजा की तैयारी और विधि (Rituals and Preparation of Chhath Puja Date 2025)
जब बात Chhath Puja Date 2025 की होती है, तो इसकी तैयारी हफ्तों पहले शुरू हो जाती है। घरों की सफाई, फल और सूप-डाल की खरीदारी, और घाटों की सजावट बड़े उत्साह से की जाती है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जब महिलाएं स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करती हैं।
Chhath Puja Date 2025 के अनुसार दूसरे दिन खरना मनाया जाएगा, जिसमें व्रती महिलाएं बिना नमक का खीर और रोटी बनाती हैं। तीसरे दिन शाम को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सुबह उषा अर्घ्य के साथ व्रत पूरा होता है।
हर वर्ष की तरह Chhath Puja Date 2025 पर भी भक्त नदी तटों, पोखरों और जलाशयों में सूर्य देव को अर्घ्य देने पहुंचेंगे। यह दृश्य अपने आप में भक्ति और सामूहिकता का अद्भुत उदाहरण होगा।
Chhath Puja Date 2025 पर सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक कारण
Chhath Puja Date 2025 केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सूर्य को अर्घ्य देने से शरीर में ऊर्जा और विटामिन D की प्राप्ति होती है। सुबह और शाम की सूर्य किरणें स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक मानी जाती हैं।
जब लोग Chhath Puja Date 2025 पर पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देंगे, तो यह शरीर में रक्त संचार को संतुलित करने में मदद करेगा। इसके अलावा यह मन को शांति और आत्मिक सुख प्रदान करता है। यही कारण है कि छठ पूजा को "सूर्य उपासना" का सबसे शुद्ध पर्व कहा गया है।

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