सोमवार, 10 नवंबर 2025

बिहार चुनाव 2025: NDA बनाम महागठबंधन की टक्कर – रिकॉर्ड वोटिंग के बाद अब 14 नवंबर को होगा जनता के फैसले का खुलासा!




 बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहले चरण की वोटिंग ने नया इतिहास रच दिया है। राज्य में 64.7% मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले 25 वर्षों में सबसे अधिक है। इस बार मतदाताओं ने बड़ी संख्या में घरों से निकलकर लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभाई।
गांवों से लेकर शहरों तक, हर बूथ पर मतदाताओं की लंबी कतारें दिखाई दीं। महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। चुनाव आयोग के अनुसार, महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से लगभग 5% अधिक रहा, जो बताता है कि बिहार की महिलाएं अब राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।

चुनाव आयोग ने पारदर्शिता के लिए कई नई सुविधाएं दी हैं। इस बार मोबाइल फोन जमा करने की व्यवस्था, डिजिटल वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन, और QR कोड आधारित बूथ एंट्री सिस्टम लागू किया गया है। इससे मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी और फर्जी वोटिंग की घटनाओं पर लगाम लगी।
बिहार के कई जिलों में युवा मतदाताओं का उत्साह भी देखने को मिला। कई पहली बार वोट डालने वालों ने कहा कि वे रोजगार, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर वोट कर रहे हैं। यह संकेत है कि 2025 का चुनाव केवल राजनीतिक गठजोड़ नहीं, बल्कि जनता के वास्तविक मुद्दों पर लड़ा जा रहा है।

NDA बनाम महागठबंधन: कौन बाजी मारेगा?

बिहार की राजनीति इस बार पूरी तरह NDA बनाम महागठबंधन के इर्द-गिर्द घूम रही है। एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा की जोड़ी, वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने जोरदार चुनौती पेश की है।
NDA (BJP + JDU + HAM + VIP) की रणनीति इस बार विकास और स्थिरता पर केंद्रित है। भाजपा के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई रैलियों में कहा कि “बिहार को दोबारा पिछली राजनीति में नहीं लौटने देना है।” नीतीश कुमार ने भी अपने अभियानों में “सुशासन और महिला सशक्तिकरण” को मुद्दा बनाया है।वहीं महागठबंधन (RJD + Congress + Left) बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में उतरा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि “NDA की सरकार ने युवाओं को सिर्फ आश्वासन दिया, रोजगार नहीं।”
हालिया सर्वे के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में RJD का प्रभाव बढ़ा है, जबकि शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में BJP को बढ़त मिल रही है। कुछ सर्वे यह भी दिखा रहे हैं कि NDA को लगभग 160 से 180 सीटों तक मिल सकती हैं, जबकि महागठबंधन 100 से 110 सीटों पर मजबूती से टक्कर दे रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अंतिम परिणाम इस बार महिला वोटर्स और पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की दिशा पर निर्भर करेगा।

उम्मीदवारों की प्रोफाइल: 32% पर आपराधिक केस, 562 करोड़पति मैदान में

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार चुनाव 2025 में कुल 1297 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 32% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कई गंभीर धाराओं में हैं। यह आंकड़ा बताता है कि राजनीति में अपराधीकरण अब भी एक बड़ी चुनौती है।
इसके अलावा, 562 उम्मीदवार करोड़पति हैं, यानी लगभग हर दूसरे सीट पर अमीर उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। सबसे अमीर उम्मीदवार की कुल संपत्ति ₹82 करोड़ बताई गई है, जबकि कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनकी घोषित संपत्ति ₹10,000 से कम है।
इस असमानता को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। RJD के प्रवक्ता ने कहा कि “बिहार में गरीब जनता के नाम पर अमीरों की राजनीति चल रही है।” वहीं, भाजपा ने जवाब दिया कि “हम विकास और अवसर की राजनीति करते हैं, न कि जाति और संपत्ति की।”
वोटर भी इस बार काफी जागरूक हैं। पटना, गया, दरभंगा और मुजफ्फरपुर में लोगों ने साफ कहा कि वे अब जातिवाद से हटकर रोजगार और शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।

कौन जीतेगा बिहार? 14 नवंबर को होगा फैसला

बिहार में दो चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है — पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को हुआ। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर 2025 पर टिकी हैं, जब वोटों की गिनती होगी।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का मुकाबला बेहद नजदीकी रहेगा। NDA को जहां प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का लाभ मिलेगा, वहीं महागठबंधन को तेजस्वी यादव के युवा नेतृत्व और बेरोजगारी के मुद्दे से फायदा मिल सकता है।
बिहार की जनता ने हमेशा अप्रत्याशित फैसले दिए हैं — 2015 में महागठबंधन ने NDA को हराया था, लेकिन 2020 में NDA ने वापसी की। अब 2025 में जनता किसे चुनेगी, यह देखने लायक होगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार महिला वोट, युवाओं का मूड, और ग्रामीण विकास के मुद्दे निर्णायक साबित होंगे।
चुनाव आयोग ने भी साफ कहा है कि मतगणना पारदर्शी तरीके से होगी और हर सीट का परिणाम रीयल टाइम में वेबसाइट पर दिखाया जाएगा।

जनता की उम्मीदें और लोकतंत्र की शक्ति

बिहार चुनाव 2025 ने यह साबित कर दिया कि जनता अभी भी लोकतंत्र में भरोसा रखती है। मतदान के आंकड़े बताते हैं कि राज्य की जनता अब बदलाव चाहती है — चाहे वह सत्ता परिवर्तन हो या नीतियों में सुधार।
लोगों का कहना है कि अब उन्हें केवल वादे नहीं, काम चाहिए। चाहे वह रोजगार की बात हो, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी या शिक्षा की गुणवत्ता — हर मुद्दा अब वोटिंग के केंद्र में है।
एक युवा मतदाता ने कहा – “हम अब जाति नहीं, नौकरी देखकर वोट देंगे।” वहीं एक बुजुर्ग महिला ने कहा – “हमने इस बार अपने बेटों की पढ़ाई और रोज़गार के लिए वोट दिया है।”
यह चुनाव केवल राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की दिशा तय करने वाला है।


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