रविवार, 24 अगस्त 2025

राजस्व महाअभियान 2025: बिहार में भूमि रिकॉर्ड सुधार की बड़ी पहल, जानें पूरी डिटेल

 


बिहार सरकार ने भूमि विवादों और रिकॉर्ड से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। “राजस्व महाअभियान (Rajaswa Maha Abhiyan)” के तहत राज्य में गांव-गांव जाकर भूमि रिकॉर्ड को सही किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य है कि जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज सही और पारदर्शी तरीके से उपलब्ध हों।
16 अगस्त 2025 से शुरू हुआ यह अभियान 20 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान सरकारी टीम गांवों में कैंप लगाकर लोगों की शिकायतें सुनेगी और मौके पर ही खाता, नाम और जमाबंदी से जुड़ी गलतियों को सुधार देगी।

बिहार में भूमि विवाद और राजस्व महाअभियान की ज़रूरत

बिहार में लंबे समय से भूमि विवाद (Land Dispute) सबसे बड़ी समस्या रही है। जमीन के कागजातों में गलत नाम, गलत खाता नंबर और दर्जनों जमाबंदियों में गड़बड़ी आम है।
आंकड़ों के अनुसार, बिहार के 60% से अधिक दीवानी मुकदमे भूमि विवाद से जुड़े होते हैं।
कई जगहों पर किसानों को सरकारी पोर्टल पर सही नाम या खाता दर्ज न होने के कारण योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
राजस्व अमीन और अधिकारियों पर घूसखोरी और फर्जीवाड़े के आरोप भी लगते रहे हैं।
इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने यह अभियान शुरू किया है।

राजस्व महाअभियान की प्रमुख विशेषताएँ

राजस्व महाअभियान को सरकार ने “जनता के दरवाजे पर न्याय” जैसा स्वरूप दिया है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं:
1. भूमि रिकॉर्ड सुधार
2. डिजिटलाइजेशन पर ज़ोर
3. सरकारी जमीन की पहचान
4. भ्रष्टाचार पर कार्रवाई
गलत नाम को सही करना
खाता संख्या में त्रुटियों का निवारण
जमाबंदी रिकॉर्ड का अपडेट
सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन “बिहार भूमि पोर्टल” (Bihar Bhumi Portal) पर अपडेट होंगे।
अब नागरिक घर बैठे अपने भूमि रिकॉर्ड चेक और डाउनलोड कर पाएंगे।
सर्वेक्षण के दौरान अब तक 17.86 लाख एकड़ सरकारी जमीन की पहचान हो चुकी है।
इससे अतिक्रमण रोकने और विकास योजनाओं में तेजी आएगी।
दाखिल-खारिज (Mutation) में अवैध वसूली पर सख्ती की जा रही है।
सीतामढ़ी जैसे जिलों में हुए घोटाले के बाद सरकार ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

राजस्व महाअभियान से जनता को क्या लाभ होगा?

इस अभियान से ग्रामीण जनता को कई फायदे होंगे:
भूमि विवाद कम होंगे – सही रिकॉर्ड होने से मुकदमे घटेंगे।
सरकारी योजनाओं का लाभ – सही नाम और खाता नंबर दर्ज होने पर किसान योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे।
ऑनलाइन सुविधा – डिजिटल रिकॉर्ड होने से अब तहसील कार्यालय के चक्कर कम लगेंगे।
पारदर्शिता – भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े में कमी आएगी।

अभियान में चुनौतियाँ

हालांकि यह अभियान ऐतिहासिक कदम है, लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं:

  • अमीनों की हड़ताल – कई अमीन और राजस्व कर्मचारी हड़ताल पर चले गए जिससे काम प्रभावित हुआ।

  • भ्रष्टाचार की शिकायतें – दाखिल-खारिज के दौरान अवैध वसूली की खबरें सामने आई हैं।

  • तकनीकी समस्या – बिहार भूमि पोर्टल कई बार सर्वर डाउन हो जाता है, जिससे ग्रामीणों को परेशानी होती है।

सरकार की रणनीति और समाधान

इन चुनौतियों से निपटने के लिए बिहार सरकार ने कई कदम उठाए हैं:
हड़ताल करने वाले अमीनों का लॉगिन बंद कर दिया गया है और नई भर्ती की तैयारी चल रही है।
भ्रष्ट अधिकारियों पर एंटी करप्शन ब्यूरो के माध्यम से कार्रवाई की जा रही है।
पोर्टल की तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए आईटी विभाग को जिम्मेदारी दी गई है।
राजस्व महाअभियान से जुड़े आँकड़े

पहलुआँकड़े
अभियान अवधि16 अगस्त से 20 सितंबर 2025
अब तक अपडेट रिकॉर्ड2.34 करोड़ से अधिक दस्तावेज
सरकारी जमीन की पहचान17.86 लाख एकड़
मुकदमों में कमी का अनुमान35-40% तक

जनता की प्रतिक्रिया

ग्रामीण जनता इस अभियान को लेकर उत्साहित है। पटना, गया, सीतामढ़ी और दरभंगा जैसे जिलों में कैंप में भारी भीड़ देखने को मिल रही है। किसानों का कहना है कि यदि यह प्रक्रिया पारदर्शी रही तो आने वाले समय में जमीन विवाद काफी हद तक कम हो जाएंगे।

निष्कर्ष

राजस्व महाअभियान बिहार सरकार की एक ऐतिहासिक पहल है जो भूमि विवादों को खत्म करने और रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
हालांकि भ्रष्टाचार और प्रशासनिक चुनौतियाँ अभी भी सामने हैं, लेकिन यदि सरकार इन पर सख्ती से नियंत्रण रखती है, तो यह अभियान ग्रामीण विकास और न्याय दोनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

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